चुपके-से आधी रात में
मेघ भला कब आ गए
चुपके से आधी रात में?
पाती लिख-लिखकर सब हारे
मनमौजी न आया
कब चंपा को हिला गया
सारा आँगन महकाया
हवा खबरिया दे गयी
चुपके-से आधी रात में
पात न बोले, रात न बोली
ना बोली बीजुरिया
माधव सबको पिला रहा था
रस की भरी गगरिया
लाल चुनरिया भींग गयी
चुपके-से आधी रात में
ना आँगन में खुसर-पुसर
न बगिया में था शोर
देख न पाया कोई कैसे
आये बन के चोर
*****
vah kya baat hai!
ReplyDelete