औरत
गोधूली में
घर की ओर लौटती गौ की तरह
वह आफिस से लौट रही है
अक्सर वह दिखाई दे जाती है सड़क पर
कभी कैरियर में कद्दू दबा होता है
तो कभी बोरी में गेंहूं
वह तेजी से आ रही है
अपनी धुन में पैदल मारती हुई
रिश्ते बछड़े की तरह इंतज़ार कर रहे हैं
वह आ रही है घर में
आंच जलाने के लिए
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Reads well. Very sharp images and crisp tone. You have the making of a good modern poet. Do keep it up. murari
ReplyDeleteItni choti kavita par bahut achi. Iskey liye dhanyavaad.
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